Floppy Disk क्या है | Floppy Disk के प्रकार

क्या आप जानते हैं की Floppy Disk क्या है? एक समय था जब floppy disk drive (FDD) ही primary means था computer में data add करने के लिए केवल तब तक ही जब तक की CD-ROM drive ज्यादा popular नहीं बन गया।यूँ तो ये FDD बहुत ही key component होते थे personal computers के लिए वो भी करीब 20 वर्षों के लिए. एक floppy disk ऐसा storage medium जिसमें की एक thin और flexible magnetic disk थी एक plastic carrier के भीतर इसे सन 1970 में बहुत ज्यादा इस्तमाल किया जाता था, वहीँ early 2000 तक इसे दुसरे storage devices जिनकी ज्यादा capacity होती है, उन्होंने इसे धीरे धीरे replace कर दिया।

ये floppy disk एक प्रकार के magnetic storage medium होते हैं computer systems के. वहीँ इन floppy disk में data को read और write करने के लिए आपके computer system में एक floppy disk drive (FDD) जरुर से होना चाहिए।

पहले के समय में floppy disks का इस्तमाल computer के operating system को store किया जाता था. इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को फ्लॉपी डिस्क की परिभाषा के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये. जिससे आप लोगों को इस पुराने storing device के विषय में कुछ जानने को मिले. इसलिए बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं की फ्लॉपी डिस्क क्या है।

फ्लॉपी डिस्क क्या है

फ्लॉपी डिस्क एक प्रकार का स्टोरेज मैग्नेटिक डिवाइस होता है जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर में डाटा स्टोरेज के लिया किया जाता है। फ्लॉपी डिस्क को FDD भी कहा जाता है और यह HDD की तुलना में पोर्टेबल होता है। और इसे कंप्यूटर से आसानी से बाहर निकाला जा सकता है जिसके चलते इसे कैरी करना आसान होता है।

फ्लॉपी डिस्क सेकेंडरी मेमोरी का भाग होता है जिसका आविष्कार सर्वप्रथम सन 1967 में किया गया था। जो काफी पतली और फ्लेक्सिबल होता है जिसके चलते इसे फ्लॉपी डिस्क कहा जाता है। फ्लॉपी डिस्क का आकार 5.25 और 3.5 इंच होता है जिसे मिनी और माइक्रो फ्लॉपी कहा जाता है फ्लॉपी डिस्क के अंदर लगे डिस्क ड्राइव को फ्लॉपी ड्राइव कहा जाता है।

शुरूआती समय में इसका कैपेसिटी बहुत कम होता था परन्तु यह कॉस्ट में काफी सस्ता था जिसके चलते इसका इस्तेमाल काफी होता था। साथ में इसके इस्तेमाल के पीछे एक और वजह उस समय इसके alternate के रूप में कोई अन्य मेमोरी डिस्क उपलब्ध नही था।

सन 2000 के बाद में फ्लॉपी डिस्क मानो मार्केट से गायब ही हो गया क्योकि उस समय के बाद इसके जगह CD को लाया जिसमें इसके तुलना में स्टोरेज स्पेस, ज्यादा था। साथ में इसके स्थान पर फाइल ट्रान्सफ लिए अन्य डिवाइस जैसे USB का इस्तेमाल किया जाता है और देखा जाये तो फ्लॉपी डिस्क अब यूज़ में नही लिया जाता है।

फ्लॉपी डिस्क ड्राइव क्या होता है

एक floppy disk drive जिसे short में FDD भी कहा जाता है कुछ और नहीं बल्कि एक electromechanical device होता है. जोकि floppy disk को read या write करने का काम करता है, इस floppy disk drive के front में floppy disk को insert करने के लिए एक opening होता है. जैसे ही floppy disk को enter किया जाता है और जैसे यह अपने position पर पहुँच जाता है. वैसे ही floppy disk उस place में automatically lock हो जाता है, जैसे ही हम disk को drive के अन्दर insert करते है. वैसे ही floppy disk drive के अन्दर मौजूद spring को compress करता है. हमारा काम हो जाने के बाद जब हम eject button को push करते है तो spring release हो जाता है और floppy disk बाहर आ जाता है. इन सब के अलावा drive के faceplate पर एक indicator light भी मौजूद होता है. जोकि तब जलता है जब drive, floppy disk में से data read या write कर रहा होता है।

Note: Floppy Disk Drive की light on रहने पर आपको कभी भी floppy disk को eject नहीं करना चाहिए और न ही system को turn off करना चाहिए. क्योकि अगर आप ऐसा करते है तो आप न सिर्फ floppy disk में मौजूद data को खो सकते है बल्कि आप drive को damage भी कर सकते हैं।

फ्लॉपी डिस्क का इतिहास

फ्लॉपी डिस्क को पहली बार साल 1971 में लोगो के सामने प्रस्तुत किया गया, जिसमे केवल 80 केबी तक डाटा स्टोर किया जा सकता था और यह एक रीड ओनली डिवाइस था यानी इसके डाटा को केवल पढ़ा जा सकता था। यह डिस्क आकार में 8 इंच था।

हालाँकि फ्लॉपी डिस्क का विकास साल 1967 से डाटा संग्रह के रूप में शुरू हुआ था। जिसमें डेविड नोबल ने आईबीएम के शोध समूह का फ्लॉपी डिस्क के डिजाइन और विकास में नेतृत्व किया।

फ्लॉपी डिस्क का अविष्कार डाटा स्टोरेज और मीडिया के क्षेत्र में सबसे बड़ी खोज साबित हुई। आईबीएम द्वारा बनाई गई सबसे पहली फ्लॉपी को बूट सम्बन्धी कार्यों में निर्देश देने में प्रयोग किया जाता था।

फ्लॉपी डिस्क के प्रकार (Types of floppy)

भौतिक आकार के आधार पर floppy 2 type की होती है।

1. 5.25 inch (mini floppy)

2. 3.5 inch (micro floppy)

3. 5.25 inch (mini floppy)

1. 5.25 inch (mini floppy)-इस floppy में चुंबकीय वृत्तकार सतह को एक लचीले plastic के jacket में रख दिया जाता है इसकी सरंचना में read a writer के लिए बाहर jacket पर एक slot कटा हुआ होता है। head इसी पर आगे – पीछे गति करता है ऊपरी कोने मे एक notch होती है। इस पर sticker लगाने से floppy write protected हो जाती है, अर्थात अब इस floppy पर कुछ save नही किया जा सकता है। ऐसा LED व photodetector के कारण होता है जैसे ही photo detector light मिलती है यह head के लिखने वाले part को बंद कर देता है। प्रथम sector में इसमें index hole दर्षाया गया है। बाकी sector मे नंबर hard sectoring या soft sectoring से तय किये जा सकते हैं। plastic की ring center में होती है यह चुंबकिय सतह को बचाने के लिए लगाई जाती है। केन्द्र का hole अंदर जाकर spindle से जुड जाता है और floppy rotate करती है। 5.25 HDH floppy निम्न क्षमताओं में उपलब्ध है-

DSDD-360KB

DSHD- 1.2 mbs

GURU

2. 3.5 inch floppy (micro floppy) –इस floppy मे भी संपूर्ण सतह को track व sector नामक logical areas में divide कर देते है संपूर्ण sheet को एक कठोर plastic के अंदर डाल देते है। 3.5 inch floppy के important part निम्न है।

jacket :- यह एक दर्षाकार 3.5 कठोर plastic का jacket होता है जिसके अंदर चुंबकिय सतह होती है।

alignment hole :- 3.5 की floppy में कोई भी index hole नही होता है। यहां प्रथम sector को बताने का कार्य alignment hole करता है।

read writer slot :- यह धातु की shutter के नीचे ऐ खुला हुआ part होता है। जिस पर head, read writer operation करता है।

write protect tab:- यह एक plastic का button होता है जिसे आसानी से move किया जा सकता है। जब इसमें से प्रकाष आर पार हो जाए – अर्थात window transparent हो जाए तब floppy का write operation बंद हो जाता है।

metallic protection shutter: यह spring से लगा हुआ धातु का shutter होता है। जैसे ही floppy के drive में डाला जाता है। वैसे ही यह move होता है। और slot open हो जाता है।

Spindle connector: धातु के Hub पर एक छोटा hole होता है, जो floppy को remote करने हेतु आवष्यक पकड प्रदान करता है।

High density sensor hole : formatting के समय यह hole बताता है कि floppy उच्च घनत्व की है stress relief notch – ये दो छोटे अर्धवृताकार notch होते है जो floppy को सही लगने मे मदद करते है।

फ्लॉपी डिस्क का उपयोग?

Data Storage

फ्लॉपी डिस्क का मुख्य इस्तेमाल डाटा स्टोरेज के लिए किया जाता है। यूज़र्स फ्लॉपी के जरिए data को स्टोर करने के साथ ही जरूरी information backup कर सकते हैं।

पहले के समय में floppy डिस्क डाटा को रिकॉर्ड करने तथा उस डाटा को स्टोर कर जानकारी को बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका था। उस समय इस माध्यम को सबसे अधिक कुशल इसलिए माना जाता था क्योंकि इसमें 1.45 MB की कैपेसिटी तथा cross प्लेटफॉर्म support था।

Software and Drivers

3.5 इंच के floppy डिस्क का सबसे महत्वपूर्ण एप्लीकेशन (अनुप्रयोग ) programmes तथासेवाओं का वितरण (distribute) करना था। उदाहरण के लिए developers द्वारा ग्राहक के लिए सॉफ्टवेयर और ड्राइवर अपडेट दिया जाना ।

इसके साथ ही आपका जानना जरूरी है कि पहले सॉफ्टवेयर का साइज काफी अधिक होता था। मेमोरी, pendrive आदि साधन उपलब्ध नहीं थे। उस समय फ्लॉपी डिस्क के जरिए यह सॉफ्टवेयर computer डिवाइस में इंस्टॉल होते थे। हालांकि अभी भी कुछ मॉडर्न drivers के लिए हार्डवेयर components floppy डिस्क में फिट होते हैं।

File Transfer

3.5 इंच floppy डिस्क विभिन्न कंप्यूटर्स के बीच files को को ट्रांसफर करने के लिए यूनिवर्सल स्टैंडर्ड मानक के रूप में जानी जाती थी। 3.5 इंच फ्लॉपी डिस्क की मदद से यूजर्स डाटा को efficiently एवंविश्वसनीयता से ट्रांसफर कर सकते हैं। floppy डिस्क की कुशलता तथा लोकप्रियता की वजह से इस टेक्नोलॉजी को apple तथा unix-based सिस्टम् में भी लसम्मिलित किया गया। जिससे विभिन्न प्लेटफॉर्म के बीच फाइल्स को ट्रांसफर करना सरल हो गया। तो यह थे कुछ floppy डिस्क के मुख्य उपयोग अब हम इसे इस्तेमाल करने के फायदे जान लेते हैं।

फ्लॉपी डिस्क कैसे काम करता है?

फ्लॉपी डिस्क के डाटा को देखने या इसमें राइट करने के लिए कंप्यूटर में फ्लॉपी ड्राइव या FDD की आवश्यकता होती है। फ्लॉपी ड्राइव में फ्लॉपी डिस्क को किसी कैसेट प्लेयर में कैसेट लगाने जैसा ही लगाया जाता है। आजकल के कम्प्यूटरों में फ्लॉपी ड्राइव नहीं होते। लेकिन आज से लगभग 20 साल पहले के कम्प्यूटरों में यह सुविधा जरूर होती थी।

फ्लॉपी को ड्राइव में लगाने के बाद वह धुरी को जकड़ कर डिस्क को घुमाना चालू कर देता है। जिससे डिस्क ड्राइव का रीड राइट हैड आगे पीछे चल सके। ताकि ड्राइव फ्लॉपी डिस्क के किसी भी ट्रैक के किसी भी सेक्टर में डाटा या सुचना लिख सकता है या उससे डाटा पढ़ सकता है।

फ्लॉपी डिस्क के फायदे

फ्लॉपी डिस्क के कुछ महत्वपूर्ण फायदे निम्न हैं-

  • फ्लॉपी डिस्क का सबसे बड़ा फायदा यह था कि ये पोर्टेबल थे. इसका आकार बहुत छोटा था जिससे कि यूजर इसकी मदद से छोटे आकार के फाइल को भी आसानी से एक स्थान दुसरे स्थान में ले जा सकते थे।
  • फ्लॉपी डिस्क आकार में छोटे और कम वजनी थे।
  •  उस समय पर फ्लॉपी डिस्क की कीमत अन्य स्टोरेज डिवाइस की तुलना में बहुत कम थी.
  • फ्लॉपी डिस्क में स्टोर डेटा को Random Order में Access कर सकते थे।
  • 1990 के दशक तक फ्लॉपी डिस्क कंप्यूटर के मुख्य स्टोरेज डिवाइस थे।

फ्लॉपी डिस्क के क्या नुकसान है।

फ्लॉपी डिस्क के कुछ नुकसान है जिसके बारे में आप सभी को निम्नलिखित में बताया गया है-

  • इसका स्टोरेज कैपेसिटी बहुत ही कम होता है।
  • इसका एक्सेस टाइम कम होता है।
  • यह ज्यादा हीट के कारण ख़राब हो सकता है।
  • इसके ख़राब होने की संभावना काफी अधिक होता है।

FAQ—फ्लॉपी डिस्क से जुड़े हुए कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

फ्लॉपी डिस्क में कितनी साइड होती हैं?

 एक फ्लॉपी डिस्क में दो साइड होती है।

फ्लॉपी डिस्क की क्षमता कितनी होती है?

3.5 इंच के फ्लॉपी डिस्क में अधिकतम भण्डारण क्षमता 1.44 मेगाबाइट तक होती है।

क्या फ्लॉपी डिस्क का अब इस्तमाल किया जाता है?

CD/DVD, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव जैसे अधिक स्टोरेज क्षमता वाले स्टोरेज माध्यम के आने के बाद आज के दौर में फ्लॉपी डिस्क का प्रयोग बिलकुल भी नहीं किया जाता।

फ्लॉपी डिस्क का आविष्कार किसने किया?

 फ्लॉपी डिस्क का आविष्कार 1967 में Alllan Sugart ने किया था।

फ्लॉपी डिस्क का आकार कितना होता है?

 फ्लॉपी डिस्क 3 अलग – अलग आकारों में आती है जो क्रमश: 8 इंच, 5.25 इंच और 3 इंच है।

Conclusion ( निष्कर्ष)

  आज के इस लेख को पढने के बाद आप लोग समझ गए होंगे कि Floppy Disk Kya Hai और क्यों वर्तमान समय में फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। फ्लॉपी डिस्क एक स्टोरेज डिवाइस था जो 1980 – 90 के दशक में बहुत इस्तेमाल किया जाता था। पर इसकी कुछ कमी के कारण आज फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल लगभग ख़त्म हो गया है। इस लेख में इतना ही, उम्मीद करते हैं आपको हमारे द्वारा लिखा यह लेख जरुर पसंद आया होगा।

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मैं Vinod Dhakad, Techvinod.Com का Technical Author & Founder हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक Graduate हूँ. अगर आपको किसी प्रकार की जानकारी या मदद चाहिए तो आप हमें Contact Us पेज पर अपना मैसेज भेज सकते हो.

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